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Tuesday, May 30, 2023

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Tamil Nadu Assembly Adopted Resolution Against The Imposition Of Hindi In The State


Tamil Nadu Resolution Against Hindi: तमिलनाडु विधानसभा ने हिंदी ‘थोपे जाने’ के खिलाफ मंगलवार (18 अक्टूबर) को एक प्रस्ताव पारित किया. तमिलनाडु ने केंद्र से आधिकारिक भाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें लागू नहीं करने का अनुरोध भी किया. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि 9 सितंबर को राष्ट्रपति को सौंपी गई सिफारिश तमिल (Tamil) सहित राज्य भाषाओं के खिलाफ है और इन भाषाओं को बोलने वाले लोगों के हितों के भी खिलाफ है.

तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव में कहा गया कि विधानसभा इस बात पर चिंता जताती है कि संसदीय समिति ने जो सिफारिश की है वह दो भाषा की नीति के खिलाफ विधानसभा में सीएन अन्नादुरई के लाये गये और इस सदन में पारित किये गये प्रस्ताव के खिलाफ है. ये सिफारिश तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के गैर हिंदी भाषी राज्यों से किये गये वादों के भी उलट है. 

प्रस्ताव में और क्या कहा गया?

प्रस्ताव में आगे कहा गया कि इसके साथ-साथ ये सिफारिश आधिकारिक भाषा पर 1968 और 1976 में पारित प्रस्तावों के जरिये अंग्रेजी के उपयोग को आधिकारिक भाषा के रूप में सुनिश्चित किये जाने के खिलाफ है. विधानसभा ने मंगलवार को प्रस्ताव आम सहमति से पारित किया. अन्नाद्रमुक नेता ओ. पनीरसेल्वम ने इस दौरान कहा कि उनकी पार्टी ने राज्य में दो भाषा (तमिल और अंग्रेजी) की नीति का समर्थन किया है. 

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मुख्यमंत्री ने पीएम को लिखा था खत

इससे पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी को लागू करने के संबंध में रविवार (16 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था कि केंद्र सरकार की ओर से गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी भाषा को लागू करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. एमके स्टालिन ने कहा था कि रिपोर्ट में एक सिफारिश शामिल है कि केंद्रीय विद्यालयों सहित सभी तकनीकी, गैर-तकनीकी संस्थानों और केंद्र सरकार के सभी संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाया जाएगा. 

‘हिंदी थोपे जाने की कोशिशें हैं’

पत्र में कहा गया था कि रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि लोग कुछ नौकरियों के लिए तभी पात्र होंगे जब उन्होंने हिंदी (Hindi) पढ़ी होगी. एमके स्टालिन (MK Stalin) ने आगे कहा था कि ये सभी हमारे संविधान के संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हैं और देश के बहुभाषी ताने-बाने को नुकसान पहुंचाएंगे. ये हिंदी ‘थोपे जाने’ की कोशिशें हैं. 

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