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Friday, March 17, 2023

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Supreme Court Expresses Concern Over The Incidents Of Hate Speeches In The Country Ann | Hate Speech Case: भड़काऊ भाषण को लेकर SC सख्त, कहा


Supreme Court On Hate Speech: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांप्रदायिक आधार भड़काऊ बयान देने वाला जिस भी धर्म का हो, उस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे बयानों पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करे. इसके लिए किसी की तरफ से शिकायत दाखिल होने का इंतज़ार न किया जाए. कार्रवाई करने में कोताही को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा.

याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला का कहना था कि मुसलमानों के खिलाफ लगातार हिंसक बयान दिए जा रहे हैं, इससे डर का माहौल है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि नफरत भरे बयान मुसलमानों की तरफ से भी दिए जा रहे हैं. सभी मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए.

याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस के एम जोसफ और ऋषिकेश रॉय की बेंच के सामने बीजेपी नेताओं के बयानों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सांसद प्रवेश वर्मा ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की बात कही. उसी कार्यक्रम में एक और नेता ने गला काटने जैसी बात कही. लगातार ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद मामले में जो आदेश दिए थे, उनका कोई असर नहीं हो रहा है.

जस्टिस के एम जोसफ ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, “यह 21वीं सदी है. हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए. लेकिन आज घृणा का माहौल है. सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है. हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है. उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं.” इस पर सिब्बल ने कहा कि लोगों ने ऐसे भाषणों पर कई बार शिकायत की है. लेकिन प्रशासन निष्क्रिय बना रहता है.

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बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा, “क्या ऐसे भाषण सिर्फ एक तरफ से ही दिए जा रहे हैं? क्या मुस्लिम नेता नफरती बयान नहीं दे रहे? आपने याचिका में सिर्फ एकतरफा बात क्यों कही है?” इस पर सिब्बल ने कहा कि जो भी नफरत फैलाए, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए.

इसके बाद जजों ने करीब 25 मिनट का ब्रेक लिया. अंत में जस्टिस जोसफ ने फैसला लिखवाते हुए कहा, “IPC में वैमनस्य फैलाने के खिलाफ 153A, 295A, 505 जैसी कई धाराएं हैं. लेकिन अगर पुलिस उनका उपयोग न करे तो नफरत फैलाने वालों पर कभी लगाम नहीं लगाई जा सकती. याचिका में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की घटनाओं का हवाला दिया गया है. हम इन राज्यों को निर्देश दे रहे हैं कि वह ऐसे मामलों में तुरंत केस दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करें. इसके लिए किसी शिकायत का इंतज़ार न करें.” 

कोर्ट ने साफ किया कि भविष्य में अगर पुलिस कानूनी कार्यवाही करने में चूकती है, तो इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों से यह भी कहा है कि पिछले कुछ समय में अपने यहां दिए गए सभी नफरत भरे बयानों को लेकर की गई कार्यवाही का ब्यौरा भी कोर्ट में जमा करवाएं.

ये भी पढ़ें: Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति बनने की याचिका को किया खारिज, कहा- यह एक आधारहीन याचिका है



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