British PM Rishi Sunak: ऋषि सुनक ने जैसे ही ब्रिटेन में बतौर प्रधानमंत्री सत्ता संभाली, भारत में उन्हें लेकर कई तरह की बहस शुरू हो गई. उनका नाम गूगल सर्च में ऊपर आने लगा और लोग उन्हें लेकर ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने लगे. भारत की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं और शख्सियतों ने सुनक को बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर बधाई दी. ऋषि सुनक ऐसे पहले भारतीय हैं, जो ब्रिटेन में इस पद तक पहुंच पाए हैं. हालांकि सुनक का भारतीय होना ही सिर्फ बड़ी बात नहीं है, सबसे खास बात ये है कि वो एक ऐसे देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं, जिसके पास यूएन में वीटो पावर है.
इन पांच देशों के पास है वीटो पावर
वीटो पावर शब्द आपने कई बार सुना और पढ़ा होगा, दरअसल ये एक ऐसी शक्ति है जिससे कोई वीटो पावर वाला देश यूएन में पेश किसी प्रस्ताव पर रोक लगा सकता है. ऐसे वीटो पावर वाले कुल पांच देश हैं. ये देश यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य हैं. जब भी यूएन में कोई प्रस्ताव पेश किया जाता है तो इसे पास करने के लिए इन देशों का वोट काफी ज्यादा अहम हो जाता है. इन पांच देशों में चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इनमें से हर देश कई बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है.
यूएन में भारत का पक्ष होगा मजबूत?
अब क्योंकि ब्रिटेन यूएन सिक्योरिटी काउंसिल का परमानेंट मेंबर है, ऐसे में भारत को ऋषि सुनक की मौजूदगी का कहीं न कहीं फायदा हो सकता है. यूएन में कई मौकों पर देखा गया कि भारत के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो लगाकर उसे रोक दिया. खासतौर पर जब पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की बात होती है तो चीन हमेशा से ही अपनी ताकत का इस्तेमाल कर उसमें अड़ंगा लगाने का काम करता है. अब ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली सरकार ब्रिटेन में है, ऐसे में भारत को किसी भी अहम प्रस्ताव पर अगर ब्रिटेन का वोट मिलता है तो ये बड़ी बात होगी. इससे कहीं न कहीं चीन और पाकिस्तान को झटका लगेगा.
चीन ने पिछले चार महीनों में पाकिस्तान के आतंकियों को बचाने के लिए कई बार अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. हाल ही में चीन ने आतंकी हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया था. इससे कुछ दिन पहले ही चीन ने लश्कर के आतंकी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले भारत और अमेरिका के प्रस्ताव पर वीटो लगाया था. इससे पहले भी चीन ने कई बड़े आतंकियों को यूएन में ब्लैक लिस्ट होने से बचाया है.
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यूएन में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की जंग
भारत भी पिछले कई दशकों से लगातार इस कोशिश में जुटा है कि किसी तरह वो यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य देशों की लिस्ट में शामिल हो जाए. भारत यूएन के मंच से कई बार ऐसे संकेत दे चुका है कि उसे ये जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. भारत कई बार यूएन का अस्थायी सदस्य बन चुका है, इसके अलावा कई ऐसे देश भी हैं जो हर मौके पर भारत को स्थायी सदस्यता देने के पक्ष में दिखते हैं, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है. क्योंकि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्यों में लंबे समय से ये पांच देश ही शामिल हैं, ऐसे में इसे लेकर हमेशा विवाद रहा है. इसे इन बड़े देशों की मोनोपॉली की तरह देखा जाता है. वीटो पावर में किसी भी तरह का संशोधन इन पांच स्थायी सदस्यों की रजामंदी के बगैर नहीं हो सकता है.
हालांकि ऋषि सुनक के पीएम बनने पर जश्न का माहौल जरूर है और हर भारतीय को उनसे कई उम्मीदें भी हैं, लेकिन ये आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा कि ऋषि का भारत को लेकर क्या रुख रहता है. फिलहाल उनके सामने अपने देश को महंगाई और आर्थिक तंगी से बाहर निकालने जैसी तमाम चुनौतियां हैं.
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