Indian Army 75th Infantry Day: भारतीय सेना आज यानी 27 अक्टूबर को अपना 75वां ‘इन्फैंट्री डे’ यानी पैदल सेना दिवस मना रही है. इसी दिन 1947 में सेना की सिख रेजीमेंट ने वायुसेना के विशेष डकोटा विमान से श्रीनगर में लैंड कर जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तानी सेना और कबायलियों के चंगुल से बचाया था. इसीलिए हर साल 27 अक्टूबर को भारतीय सेना ‘इन्फैंट्री डे’ के रूप में मनाती है. इस मौके पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान सहित इन्फैंट्री रेजीमेंट के सभी वरिष्ठ सैन्य अधिकारी नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
इन्फैंट्री दिवस का आकर्षण आज सुबह 11 बजे से श्रीनगर एयरपोर्ट पर देखने को मिलेगा. इस दौरान बड़गाम-लैंडिंग का रिक्रेएशन होगा. थलसेना और वायुसेना साथ मिलकर शौर्य दिवस मनाएंगे. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस मौके पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान सहित इन्फैंट्री रेजीमेंट के सभी वरिष्ठ सैन्य अधिकारी नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
वहीं, राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को इन्फैंट्री दिवस की बधाई दी. उन्होंने कहा साहसी पैदल सेना कर्मियों और उनके परिवारों को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं. भारतीय पैदल सेना को अत्यधिक साहस और व्यावसायिकता से जोड़ा गया है. राष्ट्र उनकी बहादुरी, बलिदान और सेवा को सलाम करता है.
On the 76th Infantry Day, greetings and warm wishes to our courageous infantry personnel and their families.
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Indian infantry has been associated with utmost courage and professionalism. The nation salutes their bravery, sacrifice and service. https://t.co/xgv2Rm6E2C
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 27, 2022
क्यों मनाया जाता है इन्फैंट्री दिवस
भारत के आजादी के बाद 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर का देश के साथ आधिकारिक तौर पर विलय हुआ था. जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में विलय के कागजातों पर हस्ताक्षर किए. उसके बाद भारतीय सेना 27 अक्टूबर, 1947 को बडगाम हवाई अड्डे पर उतरी थी और इस दिन को ‘इन्फैंट्री दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. कुछ सालों बाद 1956 में इसे भारतीय संघ का हिस्सा भी घोषित कर दिया गया.
भारतीय सेना के लिए क्यों है खास
दरअसल, आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को हड़पने की योजना बनाई थी. 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने 5 हजार कबायलियों को कश्मीर में घुसपैठ करके कब्जा करने के लिए भेजा था, तब कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद मांगी. इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए.
तब सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना का दस्ता विमान से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया. 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय पैदल सैनिकों ने कश्मीर को कबायलियों के चंगुल से छु़ड़ा दिया. यही कारण है कि पैदल सैनिकों की याद में ‘इन्फैंट्री दिवस’ दिवस मनाया जाता है.