Places of Worship Act Row: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 (Places of Worship Act 1991) से संबंधित मामले में मुकदमा चलाने और पक्षकार बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. पूजा स्थल अधिनियम को लेकर जनहित याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (11 अक्टूबर) को होगी.
मुस्लिम लॉ बोर्ड ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 धर्मनिरपेक्षता मजबूत करने के लिए था. एआईएमपीएलबी ने पूजा स्थल अधिनियम के पक्ष में तर्क दिया है कि इस कानून का उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था की गड़बड़ी को रोकना, सार्वजनिक शांति बनाए रखना और धर्मनिरपेक्षता की आधारभूत विशेषता को मजबूत करना है.
याचिका में क्या कहा एआईएमपीएलबी ने?
एआईएमपीएलबी ने पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित मामले में पक्षकार बनने के लिए शीर्ष अदालत से आग्रह किया है. एआईएमपीएलबी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि जैसे जनहित याचिका दायर करने का ट्रेंड चल रहा है.
पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि पूजा स्थल कानून से संबंधित लंबित मामलों का इस्तेमाल जमीन पर नफरत की राजनीति को बढ़ावा देने के इरादे से किया जा रहा है. इनसे अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित मामलों को चुनिंदा रूप से लक्षित किया जा रहा है. एआईएमपीएलबी ने आग्रह किया है कि अदालत ऐसी अनियमित जनहित याचिकाओं को अनुमति नहीं दे जो गैर जरूरी नई चीजों को पैदा करने की क्षमता रखती हों.
बाबरी मस्जिद मामले का किया जिक्र
एआईएमपीएलबी ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में बाबरी मस्जिद मामले में भड़के विवाद का भी जिक्र किया है. बोर्ड ने कहा है कि पूजा स्थल कानून का उद्देश्य पूजा स्थलों से संबंधित पुराने दावों का खत्म करना था. बोर्ड ने कहा है कि विभिन्न समुदायों के बीच पूजा स्थल से संबंधित कोई भी विवाद बेहद संवेदनशील है और इससे सार्वजनिक व्यवस्था और समाज की शांति को भंग करने का खतरा होता है.
एआईएमपीएलबी ने कहा कि इस तरह के विवाद धार्मिक आधार पर लोगों का ध्रुवीकरण करके सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ देते हैं. बाबरी मस्जिद को लेकर उठे विवाद के बाद हमारे देश ने खून-खराबा देखा है. बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर भी पूजा स्थल अधिनियम की दलीलें मुस्लिम पक्ष के वकीलों की ओर से अदालत में दी गई थीं.
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