देवरिया टाइम्स
शहर के रामलीला मैदान में श्रीराम कथा में मंगलवार को कथा का रसपान कराते हुए मानस मर्मज्ञ राजन महाराज ने भरत के चरित्र का बड़े ही मार्मिक तरह से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि बड़ा होने से नहीं, छोटा बनकर जीने में आनंद है।

कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि भरत को जब पता चला कि श्रीराम को राजगद्दी देने के बजाय वनवास भेज दिया गया तो वह नंगे पैर वन के लिए निकल पड़े, प्रभु श्रीराम को देखकर भरत की आंखें छलक आती हैं, तब भगवान श्रीराम उन्हें अपने सीने से लगा लेते हैं। दोनों भाइयों की आंखों से आंसुओं की धार बहने लगती है, भरत भगवान श्रीराम से राजपाट संभालने का आग्रह करते हैं, भगवान श्रीराम भरत से अपना धर्म निभाने के लिए कहते हैं, यह सुनकर भरत भगवान श्रीराम की खड़ाऊं सिर पर रखकर अयोध्या रवाना हो जाते हैं।

कथा के दौरान सांसद रमापति राम त्रिपाठी,बरहज के विधायक सुरेश तिवारी, डा.सत्यप्रकाश मणि, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक सुभाष, विभाग प्रचारक अजय, अरुण बरनवाल, डा. सौरभ श्रीवास्तव, सनत पांडेय, प्रमुख रूप से मौजूद रहे।